सेवा और सम्मान का सेतु
"स्वामी विवेकानंद — प्रतिभा के धनी।
गुरु रामकृष्ण परमहंस — अनुभव के समंदर।
दोनों मिले — और बना ज्ञान का अद्भुत संगम।
आज हम देख रहे हैं — परिवारों में धैर्य की कमी, बुजुर्गों की अनदेखी।
समाधान?
धैर्य, सम्मान और सेवा का भाव।
वृद्धाश्रम नहीं — घर ही बने सम्मान का स्थान।
बुजुर्गों का अनुभव और युवाओं का उत्साह, जब साथ जुड़ेंगे —
तभी बनेगा सशक्त भविष्य।
आइए, मिलकर इस सेतु को मजबूत करें।
सेवा करें, सम्मान करें — और आगे बढ़ें।"
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