SUCCESS STOR: Ms. Anuradha Ghosh – Family Pension payment to unmarried daughter after 8 years

 SUCCESS STORY: Ms. Anuradha Ghosh – Family Pension payment to unmarried daughter after 8 years

Introduction: In the realm of government services and pensions, delays and bureaucratic hurdles are unfortunately common. However, the success story of Ms. Anuradha Ghosh serves as an inspiring testament to the transformative impact of the Feedback Call Centre & Portal. This platform played a pivotal role in expediting the release of Ms. Ghosh’s family pension, a journey that spanned eight years.

Background: Ms. Anuradha Ghosh had diligently submitted all the necessary documents pertaining to the sanction of her family pension in September 2015. Despite her efforts, she found herself in a prolonged struggle as her pensionary dues remained elusive for several years.

The Complaint: After seven years of persistent but fruitless efforts, Ms. Ghosh decided to take matters into her own hands. On 12th July 2022, she filed a complaint, seeking resolution and justice for the prolonged delay in receiving her entitled family pension. Little did she know that this complaint would be the catalyst for change in her arduous journey.

Case Closure and Unresolved Issues: To her disappointment, the case was officially closed on 09th March 2023, 182 days after filing the complaint. Despite the closure, Ms. Ghosh continued to face a roadblock in securing her pensionary dues, leaving her in a state of financial uncertainty.

Feedback Unit Intervention: The turning point in Ms. Anuradha Ghosh’s struggle came when the Feedback unit took notice of her case. The case was promptly re-registered on 8th September 2023, accompanied by an email sent to the concerned department. This marked the beginning of active follow-up and dedicated efforts to address Ms. Ghosh’s long-pending issue.

Timely Resolution: Thanks to the relentless pursuit of the Feedback unit, the re-registered case witnessed remarkable progress. In a commendable display of efficiency, Ms. Anuradha Ghosh received the long-awaited payment of arrears, totaling an impressive Rs 10,78,167/-.

Closure and Duration: The re-registered case, which had lingered unresolved for years, was successfully closed in a mere 34 days. This prompt resolution not only brought an end to Ms. Ghosh’s prolonged struggle but also highlighted the effectiveness of the Feedback Call Centre & Portal in facilitating quick and efficient solutions to long-standing issues.

Conclusion: Ms. Anuradha Ghosh’s success story stands as a beacon of hope for individuals navigating bureaucratic challenges in securing their entitled benefits. The Feedback Call Centre & Portal, through its intervention and dedicated follow-up, played a pivotal role in ensuring justice and timely resolution for Ms. Ghosh. This success story underscores the importance of such platforms in fostering accountability, transparency, and efficiency in public service delivery.


सुश्री अनुराधा घोष – अविवाहित पुत्री को 8 वर्ष बाद पारिवारिक पेंशन भुगतान

परिचय: सरकारी सेवाओं और पेंशन के क्षेत्र में, देरी और नौकरशाही बाधाएँ दुर्भाग्य से आम हैं। हालाँकि, सुश्री अनुराधा घोष की सफलता की कहानी फीडबैक कॉल सेंटर और पोर्टल के परिवर्तनकारी प्रभाव के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य करती है। इस मंच ने सुश्री घोष की पारिवारिक पेंशन को तेजी से जारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इस यात्रा ने आठ वर्षों का समय लिया।

पृष्ठभूमि: सुश्री अनुराधा घोष ने सितंबर 2015 में अपनी पारिवारिक पेंशन की मंजूरी से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए थे। उनके प्रयासों के बावजूद, उन्होंने खुद को लंबे समय तक संघर्ष में पाया क्योंकि उनकी पेंशन देय राशि कई वर्षों तक अस्पष्ट रही।

शिकायत: सात साल के लगातार लेकिन असफल प्रयासों के बाद, सुश्री घोष ने मामलों को अपने हाथों में लेने का फैसला किया। 12 जुलाई 2022 को, उसने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें उसके हकदार पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने में लंबी देरी के समाधान और न्याय की मांग की गई। उसे नहीं पता था कि यह शिकायत उसकी कठिन यात्रा में बदलाव का उत्प्रेरक बन जाएगी।

केस बंद होना और अनसुलझे मुद्दे: उन्हें निराशा हुई, शिकायत दर्ज करने के 182 दिन बाद 09 मार्च 2023 को मामला आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया। बंद होने के बावजूद, सुश्री घोष को अपनी पेंशन देय राशि हासिल करने में लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था, जिससे वह वित्तीय अनिश्चितता की स्थिति में थीं।                                                                                                                                                                                                                           फीडबैक यूनिट का हस्तक्षेप: सुश्री अनुराधा घोष के संघर्ष में निर्णायक मोड़ तब आया जब फीडबैक यूनिट ने उनके मामले पर ध्यान दिया। संबंधित विभाग को एक ईमेल भेजकर मामला तुरंत 8 सितंबर 2023 को फिर से दर्ज किया गया। इसने सुश्री घोष के लंबे समय से लंबित मुद्दे के समाधान के लिए सक्रिय अनुवर्ती और समर्पित प्रयासों की शुरुआत की।

समय पर समाधान: फीडबैक इकाई की निरंतर खोज के कारण, पुनः पंजीकृत मामले में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई। कार्यकुशलता के सराहनीय प्रदर्शन में, सुश्री अनुराधा घोष को बकाया राशि का लंबे समय से प्रतीक्षित भुगतान प्राप्त हुआ, जो कुल मिलाकर 10,78,167/- रुपये का था।

समापन और अवधि: पुनः पंजीकृत मामला, जो वर्षों से अनसुलझा पड़ा था, मात्र 34 दिनों में सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया। इस त्वरित समाधान ने न केवल सुश्री घोष के लंबे संघर्ष को समाप्त कर दिया, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों के त्वरित और कुशल समाधान की सुविधा प्रदान करने में फीडबैक कॉल सेंटर और पोर्टल की प्रभावशीलता पर भी प्रकाश डाला।

निष्कर्ष: सुश्री अनुराधा घोष की सफलता की कहानी अपने हकदार लाभ हासिल करने में नौकरशाही चुनौतियों से निपटने वाले व्यक्तियों के लिए आशा की किरण के रूप में खड़ी है। फीडबैक कॉल सेंटर और पोर्टल ने अपने हस्तक्षेप और समर्पित फॉलो-अप के माध्यम से सुश्री घोष के लिए न्याय और समय पर समाधान सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सफलता की यह कहानी सार्वजनिक सेवा वितरण में जवाबदेही, पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देने में ऐसे प्लेटफार्मों के महत्व को रेखांकित करती है।


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