कल के कल्याण को आज सुरक्षित करना: नौकरशाही और नीतिगत बदलावों की भूलभुलैया में, पेंशनभोगी खुद को अनिश्चितता से भरे परिदृश्य में भटकते हुए पाते हैं। लोकसभा और राज्यसभा दोनों की हालिया नकारात्मक प्रतिक्रियाएं, 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) और वरिष्ठ नागरिक रेल रियायतों से संबंधित स्पेक्ट्रम स्पष्ट चेतावनी के रूप में काम करते हैं। दीवार पर लिखी इबारत स्पष्ट है यदि पेंशनभोगी नहीं जागे और एक छतरी के नीचे एकजुट नहीं हुए, तो आने वाले वर्षों में उनकी आजीविका खतरे में पड़ सकती है।



 

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