सातवें वेतन आयोग में 2004 से बंद फैमिली पेंशन फिर शुरू कर सकती है सरकार
भोपाल. केंद्र और राज्यों के 33 लाख कर्मचारियों के लिए यह अच्छी खबर
है। सरकार उन्हें अगले साल से फैमिली पेंशन देने पर विचार कर रही है।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में इसका प्रावधान किया गया है। प्रदेश
सरकार को दिसंबर माह तक केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है, जिसे
मंजूरी मिलने के बाद कर्मचारियों को इसका लाभ 1 जनवरी 2016 से मिल सकता है।
अभी अप्रैल, 2004 के बाद सरकारी नौकरियों में भर्ती हुए अफसर से लेकर
कर्मचारियों को अंशदायी पेंशन मिलती है, जबकि इससे पहले के कर्मचारियों को
फैमिली पेंशन मिल रही है।
इसमें न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत भर्ती हुए कर्मचारियों की
परेशानी यह है कि उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलेगी या नहीं, यह तय ही
नहीं है।
इसके तहत उनके वेतन से 10 प्रतिशत और इतनी ही राशि सरकार के अंश की होती
है। रिटायरमेंट तक यह राशि काटी जाएगी जिसमें से 70 प्रतिशत राशि कर्मचारी
को नकद दी जाएगी और बाकी 30 प्रतिशत पेंशन फंड के लिए जमा किए जाने का
प्रावधान है जिसमें से उन्हें जीवित रहने तक आंशिक पेंशन दिया जाना है।
अभी यह है प्रावधान : अभी अप्रैल, 2004 से पहले नौकरी में भर्ती हुए
कर्मचारियों को फैमिली पेंशन मिल रही है। इसमें पेंशन के नाम पर उनके वेतन
से कोई राशि नहीं काटी जाती है। रिटायरमेंट के वक्त अंतिम माह को जो वेतन
देय होता है, उसकी 50 फीसदी राशि पेंशन के रूप में तय हो जाती है। यह राशि
उन्हें जीवित रहने तक मिलती है और उसके बाद आश्रित को ट्रांसफर हो जाती है।
13 लाख से ज्यादा भर्तियां
केंद्र में अप्रैल 2004 से अब तक 13 लाख 46 हजार 862 भर्तियां हुईं,
वहीं राज्यों में यह संख्या 19 लाख 58 हजार 378 है। इनमें मप्र में हुई
भर्तियां 62 हजार हैं। इन कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन का प्रावधान
है। इनके वेतन से हर महीने काटी जा रही 10 प्रतिशत राशि के अलावा इतनी ही
राशि सरकार मिला रही है। इस फंड में एनएसडीएल के पास अब तक तक 42 हजार
करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं।
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में यह माना जा रहा है कि न्यू पेंशन स्कीम
को रिवाइज किया जाएगा, जिसे फैमिली पेंशन में परिवर्तित किए जाने की पूरी
उम्मीद है। ऐसी हमारी लगातार मांग भी रही है। यदि केंद्र इस सिफारिश को
मानता है तो इससे बड़ी संख्या में कर्मचारियों का फायदा होगा। -केकेएन कुट्टी, अध्यक्ष, केंद्रीय कर्मचारी परिसंघ, नईदिल्ली
- सरकारी सेवाओं में 1 अप्रैल 2004 से फैमिली पेंशन खत्म कर दी गई थी।
सरकार का यह कदम ठीक नहीं था। पेंशन ही एक ऐसा आकर्षण है, जो लोगों को
सरकारी सेवाओं में आने के लिए आकर्षित करता है। सातवें वेतन आयोग में इसकी
अनुशंसा करता है और केंद्र इसे मानता है तो कर्मचारियों के हित में
फायदेमंद होगा। केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश
इसलिए पड़ी जरूरत
पिछले 11 साल से सरकार में भर्ती होने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट
पर सोशल सिक्युरिटी के रूप में मिलने वाली पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है।
इससे सरकारी सेवाओं में आने वाले युवाओं का रुझान भी घटा। यह इससे साफ होता
है कि 1 अप्रैल 1994 से 1 अप्रैल 2004 के बीच जहां 50 लाख से ज्यादा लोग
नौकरी में आए। वहीं, पेंशन खत्म होने के बाद सिर्फ 33 लाख लोग ही नौकरी में
आए।
यदि केंद्र फैमिली पेंशन की अनुशंसा को स्वीकार करता है तो हम इसे राज्य में लागू करने पर विचार करेंगे। -जयंत मलैया, वित्त मंत्री
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