New Pension System is a better scheme & know how it works
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एनपीएस में जोड़े गए नए उपबंध के अनुसार कोई ग्राहक टियर-1 खाते से दस वर्ष बाद 25 फीसद तक राशि निकाल सकता है। पहली निकासी के बाद पांच-पांच साल के अंतराल पर दो निकासियां और की जा सकती हैं। लेकिन इनका खास मकसद होना चाहिए। दो बातें एनपीएस को अद्वितीय पेंशन स्कीम साबित करती हैं। एक, इसके टियर-1 खाते से निकासी पर अंकुश व दो, अवधि पूरी होने पर कॉर्पस के कुछ हिस्से का एन्यूटी में निवेश।
बुढ़ापे में जब लोगों के पास आय का नियमित स्रोत नहीं रहता, तब पेंशन योजनाएं उन्हें वित्तीय सुरक्षा व स्थायित्व प्रदान करती हैं। रिटायरमेंट प्लान के जरिये आप जीवनशैली के साथ कोई समझौता किए बगैरजिंदगी के बाकी दिन सम्मानजनक तरीके से गुजार सकते हैं। पेंशन स्कीम बचतों को जुटाने व निवेश का ऐसा मौका प्रदान करती हैं, जिनसे एकमुश्त राशि के अलावा नियमित मासिक आय प्राप्त की जा सकती है। इस लिहाज से नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) काफी बेहतर विकल्प है।
कैसे काम करता है एनपीएसएनपीएस ज्वाइन करने पर ग्राहक को एक यूनीक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रान) मिलता है। ग्राहक रिटायरमेंट तक इसमें योगदान करता है। रिटायरमेंट पर ग्राहक कुल जमा राशि का एक हिस्सा एकमुश्त तौर पर निकाल सकता है। बाकी राशि एक एन्यूटी में निवेश करनी होती है, जिससे रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन मिलती है। ग्राहक की मृत्यु की स्थिति में संपूर्ण राशि उसके द्वारा नामित व्यक्ति को दी जाती है।
फंड का निवेशएनपीएस के तहत तीन तरह के फंड विकल्प उपलब्ध हैं। इक्विटी, कॉरपोरेट बांड व सरकारी प्रतिभूतियां। ग्राहक के लिए निवेश के दो विकल्प उपलब्ध होते हैं :
1. एक्टिव च्वाइस या सक्रिय चयन : इसके तहत ग्राहक तीन फंडों में से अपने अनुकूल फंड का चयन निवेश के लिए कर सकता है। इक्विटी फंड में अधिकतम 50 फीसद योगदान के निवेश की अनुमति है।
2. ऑटो च्वाइस या स्वत: चयन : इसके तहत तीनों फंडों में ग्राहक की उम्र के आधार पर पूर्व निर्धारित पैटर्न के अनुसार कार्पस का निवेश किया जाता है। कम उम्र की स्थिति में इक्विटी में ज्यादा निवेश होता है। अधिक उम्र होने पर इक्विटी में केवल 10 फीसद निवेश की अनुमति है।
बाजार संबद्ध अन्य पेंशन योजनाओं के मुकाबले एनपीएस में निवेश बहुत सक्रिय तौर पर नहीं होता है। आम तौर पर इसके इक्विटी हिस्से का निवेश इंडेक्स स्टॉक्स या निफ्टी 50 स्टॉक्स में होता है। इसका प्रबंधन निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के फंड मैनेजर मिलजुल करते हैं और इसके लिए शुल्क वसूलते हैं।
एनपीएस से आंशिक निकासीएनपीएस में जोड़े गए नए उपबंध के अनुसार कोई ग्राहक टियर-1 खाते से दस वर्ष बाद 25 फीसद तक राशि निकाल सकता है। पहली निकासी के बाद पांच-पांच साल के अंतराल पर दो निकासी और की जा सकती हैं। लेकिन इनका खास मकसद होना चाहिए। जैसे कि बच्चे की उच्च शिक्षा, उसकी शादी, मकान की खरीद या किसी गंभीर बीमारी का इलाज, वगैरह।
टियर 1 खाते पर कर लाभ
वेतनभोगी वर्ग के लिए :कर्मचारी के योगदान पर : कर्मचारी को सीधे दो कर लाभ मिलते हैं। वह अपना 10 फीसद तक वेतन (अधिकतम डेढ़ लाख) टियर-1 खाते में निवेश कर सकता है। इस पर आयकर कानून की धारा 80सी व 80 सीसीडी (1) के तहत आयकर से छूट है। इसके अलावा 50 हजार रुपये की राशि और जमा की जा सकती है। यह धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत करमुक्त है।
सेवायोजक के योगदान पर : सेवायोजक भी कर्मचारी के एनपीएस खाते में उसके वेतन का दस फीसद तक योगदान कर सकता है। इस पर धारा 80सीसीडी (2) के तहत आयकर से छूट प्राप्त है।
स्वरोजगार वाले पेशेवरों के लिए : स्वरोजगार में लगे पेशेवर भी सकल आय का 10 फीसद (अधिकतम डेढ़ लाख रुपये) तक योगदान एनपीएस में कर सकते हैं। इस पर धारा 80सी व 80सीसीडी (1) के तहत आयकर छूट है। वे 50 हजार रुपये तक अतिरिक्त राशि जमा कर उस पर धारा 80 सीसीडी (1बी) के तहत भी आयकर की छूट प्राप्त कर सकते हैं।
धारा 80सीसीडी (1), 80सीसीडी (1बी) तथा 80सीसीडी (2) के तहत कर लाभ अलग-अलग होते हुए भी एक साथ प्राप्त किए जा सकते हैं।
जहां तक एनपीएस से होने वाली निकासी पर टैक्स का सवाल है तो टियर-1 खाते से धन निकालने पर आयकर लगता है। हालांकि एन्यूटी खरीदने के लिए किए गए निवेश पर कर से छूट है। एनपीएस की मासिक पेंशन को आय माना जाता है और उस पर भी टैक्स लगता है।
धारा 80सीसीडी (1), 80सीसीडी (1बी) तथा 80सीसीडी (2) के तहत कर लाभ अलग-अलग होते हुए भी एक साथ प्राप्त किए जा सकते हैं।
जहां तक एनपीएस से होने वाली निकासी पर टैक्स का सवाल है तो टियर-1 खाते से धन निकालने पर आयकर लगता है। हालांकि एन्यूटी खरीदने के लिए किए गए निवेश पर कर से छूट है। एनपीएस की मासिक पेंशन को आय माना जाता है और उस पर भी टैक्स लगता है।
टियर 2 खाताइसमें किए गए निवेश पर कोई कर लाभ नहीं है, जबकि धन निकासी पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है।
दो बातों में अनूठी है एनपीएसदो बातें एनपीएस को अद्वितीय पेंशन स्कीम साबित करती हैं। एक, इसके टियर-1 खाते से निकासी पर अंकुश व दो, अवधि पूरी होने पर कॉर्पस के कुछ हिस्से का एन्यूटी में निवेश। लॉक-इन पीरियड होने से ग्राहक रिटायरमेंट से पहले पैसे का उपयोग नहीं कर सकता, जबकि एन्यूटी से पैसे का भुगतान लंबी अवधि में किस्तों पर होता है। इससे रिटायरमेंट के बाद जरूरत भर की आमदनी सुनिश्चित होती है।
म्यूचुअल फंड से कम शुल्कएनपीएस पर सालाना मात्र 0.5 फीसद का शुल्क है। इसमें फंड प्रबंधन शुल्क, ट्रांजेक्शन कॉस्ट व वार्षिक रखरखाव शुल्क शामिल हैं। केवल पहले साल पंजीकरण, खाता खोलने वगैरह पर एक फीसद राशि खर्च करनी पड़ती है। इस तरह शुल्कों के हिसाब से यह उत्पाद म्यूचुअल फंड (जो करीब 2.5 फीसद शुल्क वसूलते हैं) के मुकाबले बहुत सस्ता है। लेकिन एक मामले में एनपीएस म्यूचुअल फंड से कमजोर है।
एनपीएस ही क्योंआज निवेशकों के लिए उपलब्ध बाजार से जुड़े विभिन्न रिटायरमेंट विकल्पों में एनपीएस बेहतर है, क्योंकि इसकी निगरानी पेंशन फंड नियामक व विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के हाथ में है। एनपीएस की कुछ ऐसी खासियतें हैं जो इसे अन्य पेंशन योजनाओं के मुकाबले बेहतर साबित करती हैं। ये हैं :
-एनपीएस में केवल 0.01 फीसद फंड प्रबंधन शुल्क लगता है। यह विश्व में सबसे कम लागत में प्रबंधित होने वाला फंड है।
-यह पूर्णत: पोर्टेबल है यानी व्यक्ति कितनी ही बार नौकरी और स्थान बदले, कोई फर्क नहीं पड़ता।
-निवेश का ब्योरा प्राप्त करने की ऑनलाइन सुविधा।
-निवेशक अपनी पसंद के सेवा प्रदाता, पेंशन फंड मैनेजर, फंड, निवेश विकल्प तथा एन्यूटी सर्विस प्रोवाइडर का चुनाव कर सकता है।
-एक सर्विस प्रोवाइडर, फंड मैनेजर, फंड अथवा निवेश विकल्प को छोड़कर दूसरे का चयन किया जा सकता है।
-ग्राहक अपनी सुविधानुसार निवेश व निकासी की राशियां तय कर सकता है। इसी तरह एन्यूटी खरीद के भी कई विकल्प मिलते हैं।
-एनपीएस में केवल 0.01 फीसद फंड प्रबंधन शुल्क लगता है। यह विश्व में सबसे कम लागत में प्रबंधित होने वाला फंड है।
-यह पूर्णत: पोर्टेबल है यानी व्यक्ति कितनी ही बार नौकरी और स्थान बदले, कोई फर्क नहीं पड़ता।
-निवेश का ब्योरा प्राप्त करने की ऑनलाइन सुविधा।
-निवेशक अपनी पसंद के सेवा प्रदाता, पेंशन फंड मैनेजर, फंड, निवेश विकल्प तथा एन्यूटी सर्विस प्रोवाइडर का चुनाव कर सकता है।
-एक सर्विस प्रोवाइडर, फंड मैनेजर, फंड अथवा निवेश विकल्प को छोड़कर दूसरे का चयन किया जा सकता है।
-ग्राहक अपनी सुविधानुसार निवेश व निकासी की राशियां तय कर सकता है। इसी तरह एन्यूटी खरीद के भी कई विकल्प मिलते हैं।
एनपीएस खातों के प्रकार
टियर-1 खाता : यह रिटायरमेंट तक बचत के लिए होता है। तब तक इसमें से कोई राशि नहीं निकाली जा सकती।
टियर-2 खाता : यह पूरी तरह से स्वैच्छिक बचत सुविधा है। ग्राहक इसमें से जब चाहे इच्छानुसार पैसे निकाल सकता है। लेकिन इस पर किसी तरह का कर लाभ नहीं है।
स्कीम से निकासएनपीएस खाता खोलने के 10 साल बाद या 60 साल की उम्र पूरी होने पर ग्राहक इससे बाहर निकल सकता है। उम्र के अनुसार ग्राहक को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
साठ साल से कम उम्र पर : कार्पस की 20 फीसद एकमुश्त राशि निकाली जा सकती है। शेष राशि का निवेश एन्यूटी में करना होता है। यदि कार्पस एक लाख रुपये से कम है, तो पूरी राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है।
साठ साल की उम्र होने पर : कार्पस की 60 फीसद राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है। शेष राशि का एन्यूटी में निवेश करना पड़ता है। यदि कार्पस दो लाख या उससे कम है तो पूरी राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है।
सुमित शुक्ला
सीईओ, एचडीएफसी
पेंशन मैनेजमेंट कंपनी
सीईओ, एचडीएफसी
पेंशन मैनेजमेंट कंपनी
Source:- Dainik Bhaskar
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